Wednesday, March 24, 2010

"एक और वर्ष बीत गया"

कही न कही बातों का,

छोटे छोटे जज्बातों का,

हाथों में लिया हाथों का,

आधूरी मुलाकातों का,

जागी सोयीं रातों का,

तकदीर के इरादों का,

पूरे ना हो सके वादों का,

और ऐसी कितनी ही यादों का,

इतिहास बन एक और वर्ष बीत गया !"

1 comment:

स्वप्न मञ्जूषा said...

एक वर्ष क्यूँ...!!
जाने कितने वर्ष बीत जायेंगे..
परन्तु घबराइये मत ये अहसास वहीँ रहेंगे....खड़े...
और याद दिलाते रहेंगे....कि देखो एक और वर्ष बीत गया..

खूबसूरत...!!