Sunday, February 27, 2011

जब भी मिलती है...

जब भी मिलती है मैं आँखों से सदा देता हूँ ,
जब भी मिलती है मैं धड़कन से दुआ देता हूँ|
जब भी लगता हे मुझे दिल ये खाली-खाली सा,
मैं तेरी यादों की बारात सजा लेता हूँ|

तेरी ही याद में भीगे हुए हैं ख्वाब मेरे,
तेरी तलाश में सवाल बेहिसाब मेरे,
पूछता मैं हूँ और जवाब भी मैं देता हूँ,
साँस मैं न भी लूँ पर नाम तेरा लेता हूँ,
दर्द जितना भी हो सीने में दबा लेता हूँ| 

जब भी मिलती है मैं आँखों से सदा देता हूँ ,
जब भी मिलती है मैं धड़कन से दुआ देता हूँ|

Wednesday, February 23, 2011

फांसले

कुछ  इस तरह हमारे फांसले बढ़ते गए,
मैं तुम्हारे लिए रुका रहा तुम मेरे लिए चलते गए!