Tuesday, October 27, 2009

"सौदा ऐ नफा "



अंजाम ऐ जिस्म मौत का पता हे जिस पर, हाँ मालूम हे ये जिन्दगी का लिफाफा हे

पहुंचना हे एक खूबसूरत अंजाम तक, फ़िरभी हम नजाने क्यो इससे खफा हे !

पल दो पल का ये हँसी का मजमा हे, बाकि तो बस गम ऐ इजाफा हे !

ये डाक घर तो एक पराया काफिला हे, और ये चिट्ठिया भी सारी बेबफा हें!

फ़िर भी नजाने क्यो दिल यहाँ लग जाता हे, नजाने कैसी यहाँ की हवा हे !

सब कुछ पाकर लुटा देना चाहता हूँ, नजाने ये कैसा सौदा ऐ नफा हे ? "

Monday, October 12, 2009

"डर"

"भटक गए हें हम यारो ऐसी राह पर,जहाँ से निकलने में भटके जाने का डर हे!"

" ऊब गये हें जिन्दगी से और हालात ये हे, की मौत को गले लगाने पर जिन्दा बच जाने का डर हे!"

" जीत में हार का डर हे हार में जीत का डर हे, इस क्रत्घन दुनिया में अपने ही मीत का डर हे!"

" पाने में खोने का डर हे खोने में पाने का डर हे ,खाना न मिलने पर यहाँ भूके मर जाने का डर हे!"

"आज इसी कारण से मेरी आत्मा एकाकी हे, की रिश्ता बन जाने पर उसके तोड़ दिए जाने का डर हे!"