Saturday, April 16, 2011

कविता

"नहीं लिखता कवि कोई, काव्य अपने बर्ताव से,
लिख दिया जाता है यह तो भावना के प्रभाव से,
ढाल देता है वो फिर वेदना को छंद में, 
दुनिया पढ़ती है जिसे कहकर कविता चाव से!"