'मेरी यादों के दर्पण पर एक धुंध समय की छाएगी,
और में समृति के कोहरे में बनके किस्सा खो जाऊंगा,
पर जब भी भावों की द्रष्टि इस धुंध धुंए को चीरेगी,
मैं तेरे नयन के पुष्पों पर बनके ओंस छा जाऊंगा'
मैं नहीं आऊंगा याद तुम्हे जीवन के हार रंगी क्षण में ,
जब बात कोई दुःख की होगी मैं याद तुम्हे तब आऊंगा,
एक बार बुलाने की मुझको कोशिश अपने दिल से करना
मैं बारिश की बूंदों सा तेरी आँखों से बह जाऊंगा !'
'मैं राही एक तू राही एक जीवन का सफ़र मंजिले अनेक,
मैं बंधा अपने उद्देश्य से हूँ मंजिल हरेक न पाउँगा ,
पर जिस भी मंजिल से होकर ये राह मेरी बढ़ जाएगी,
मैं उस मंजिल की धूलि पर फिर अपने कदम बनाऊंगा,
मैं नहीं आऊंगा याद तुम्हे जब और भी राही आएँगे,
जब बात हमसफ़र की होगी मैं याद तुम्हे तब आऊंगा,
एक बार बुलाने की मुझको कोशिश अपने दिल से करना
मैं बारिश की बूंदों सा तेरी आँखों से बह जाऊंगा !'
2 comments:
sundar..ati sundar..!!
Realllyyy very nice...
Awesome... :)
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