Wednesday, December 7, 2011

और आज जिन्दगी खूबसूरत लगी तुम्हारी तरह !

कल भी इतनी ही सर्द, इतनी ही नम थी ये हवा,
पर मैंने महसूस नहीं किया ठण्ड में तपन को!
कानों से गुज़रते हुए एक संगीत सा तो था,
पर नहीं भायी कोई भी धुन इस मन को!

कल नहीं देखा मैंने आँगन में खिले गुलाब को,
कल नहीं मसूस किया चाँद के शबाब को!
कल नहीं बेचैन था मैं शाम के इन्तजार में ,
कल नहीं कुछ खास था बसंत की बहार में!
कल नहीं भीगा था मैं बारिश की बोछार में,
कल नहीं खोया रहा रात भर विचार में !

फिर अचानक आईं तुम प्यार की लेकर सुबह ,
और आज जिन्दगी खूबसूरत लगी तुम्हारी तरह !

No comments: