रात के अँधेरे की उनको क्या खबर,
जो लोग बस चाँद का दीदार करते हैं,
सिर्फ मंजिलों को चाहूँ इतना खुदगर्ज़ नहीं मैं,
हम तो उन मुसाफिरों में से हैं जो रास्तों से भी प्यार करते हैं!
जो लोग बस चाँद का दीदार करते हैं,
सिर्फ मंजिलों को चाहूँ इतना खुदगर्ज़ नहीं मैं,
हम तो उन मुसाफिरों में से हैं जो रास्तों से भी प्यार करते हैं!
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