"Dedicated to all my clg friends...(specially Ankit Khare)
कल ऑफिस में मेरे एक सहकर्मी ने मुझसे कहा :"चाय पिओगे?"
मैंने कहा :"नहीं"
उसने कहा :"सुना है पहले तो तुम बहुत चाय पीते थे?"
मैंने कहा :"अब चाय अच्छी नहीं लगती"
उसने कहा :"क्यों चाय में क्या बदल गया ?चाय तो पहले जैसी ही है!"
मैंने कहा :नहीं ! चाय अब पहले जैसी नहीं रही....
उसने कहा: क्यों ?
मैंने कहा:
पहले रोज 3 रूपए की चाय के लिए लड़ते थे,आज चाय की दुकान खरीदने के तो पैसे है पर कोई साथ बैठकर लड़ने वाला नहीं ...
पहले चाय पिने निकल जाते थे मीलों दूर,आज क्यूबिकल के पीछे रखी चाय की मशीन भी बहुत दूर लगती हे ...
पहले सोचते थे की चाय के हर एक घूँट में मजा हे,आज पता चला वो मजा चाय का नहीं था ...
कल ऑफिस में मेरे एक सहकर्मी ने मुझसे कहा :"चाय पिओगे?"
मैंने कहा :"नहीं"
उसने कहा :"सुना है पहले तो तुम बहुत चाय पीते थे?"
मैंने कहा :"अब चाय अच्छी नहीं लगती"
उसने कहा :"क्यों चाय में क्या बदल गया ?चाय तो पहले जैसी ही है!"
मैंने कहा :नहीं ! चाय अब पहले जैसी नहीं रही....
उसने कहा: क्यों ?
मैंने कहा:
पहले रोज 3 रूपए की चाय के लिए लड़ते थे,आज चाय की दुकान खरीदने के तो पैसे है पर कोई साथ बैठकर लड़ने वाला नहीं ...
पहले चाय पिने निकल जाते थे मीलों दूर,आज क्यूबिकल के पीछे रखी चाय की मशीन भी बहुत दूर लगती हे ...
पहले सोचते थे की चाय के हर एक घूँट में मजा हे,आज पता चला वो मजा चाय का नहीं था ...
ये सुनकर उसने चाय का आधा भरा कप बिना पिए रख दिया!
शायद उसे भी
"अब चाय अच्छी नहीं लगती ....."
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